Happy Birthday Rakesh Sharma-भारत का वो सपूत जिसने तय की पहली सफल अंतरिक्ष यात्रा और कहा ,सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा
आज भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री के तौर पर स्कवाड्रन लीडर राकेश शर्मा का नाम कभी कोई नहीं भूल सकता है।वो पहले भारतीय थे अंतरिक्ष में जा कर देश का नाम रोशन किया था | 80 के दशक में जब राकेश शर्मा में बादलों को चीरते हुए अंतरिक्ष की तरफ बढ़े तो करोड़ों भारतीयों की दुआएं उनके साथ थीं। उस वक्त उनके साथ एक और नाम की भी चर्चा जोरों पर होती थी। ये नाम रवीश मल्होत्रा का था।

आज भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री के तौर पर स्कवाड्रन लीडर राकेश शर्मा का नाम कभी कोई नहीं भूल सकता है।वो पहले भारतीय थे अंतरिक्ष में जा कर देश का नाम रोशन किया था | 80 के दशक में जब राकेश शर्मा में बादलों को चीरते हुए अंतरिक्ष की तरफ बढ़े तो करोड़ों भारतीयों की दुआएं उनके साथ थीं। उस वक्त उनके साथ एक और नाम की भी चर्चा जोरों पर होती थी। ये नाम रवीश मल्होत्रा का था। यूं तो ये दोनों ही भारतीय वायु सेना के अनुभवी और जांबाज पायलट थे लेकिन अंतरिक्ष में जाने की यदि बात करें तो इसमें राकेश शर्मा उनसे आगे निकल गए थे। ये हर भारतीय के लिए गर्व का पल था।उस दौर में अखबार से लेकर मैग्जीन तक में राकेश शर्मा के बारे में लिखा जाता था। उन्होंने अंतरिक्ष में सात दिन बिताए थे। एक बार जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उनसे पूछा कि अंतरिक्ष से भारत कैसे दिखाई देता है तो उन्होंने मुस्कुरा कर कहा- 'सारे जहां से अच्छा'। आज उन्हीं राकेश शर्मा का जन्मदिन है। राकेश शर्मा के अंतरिक्ष अभियान को यूं तो आज 36 वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन उस दौर को देखने वालों के जहन में उनका चेहरा आज भी पहले की ही तरह है।
उस समय की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उनसे सवाल पूछा, आपको अंतरिक्ष से भारत कैसा लगा तो उन्होंने जवाब दिया, "सारे जहां से अच्छा". उनके इस जवाब से ना केवल इंदिरा जी गदगद हुईं बल्कि पूरा देश झूम उठा| जब वो वापस स्वदेश लौटे तो उनका जमकर स्वागत हुआ| हालांकि उनकी इस अंतरिक्ष यात्रा का कितना फायदा भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को मिला, ये कभी जाहिर नहीं हो पाया. अंतरिक्ष में जाने से पहले वो भारतीय वायुसेना में स्कवाड्रन लीडर थे| वापस लौटने के बाद वापस एयरफोर्स में अपने काम में जुट गए| उसके बाद उन्हें एक प्रोमोशन और मिला| राकेश जब 1987 में रिटायर हुए तो विंग कमांडर बन चुके थे|
आपको बता दे अब राकेश शर्मा अपने जीवन की दूसरी पारी पर वो नासिक में हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड में चीफ टेस्ट पायलट बन गए| इसके बाद 1992 में बेंगलुरु में एचएएल में इसी रोल में चले गए| हम जिस तेजस लडाकू विमान की सफलता की कहानियां हासिल करते सुन रहे हैं| उसकी टेस्ट उड़ानों के साथ वो काफी सक्रिय तरीके से जुड़े हुए थे|